पूरी टांग से अपाहिज पर भी पाला बुलेट चलाने का शौक,

 पूरी टांग से अपाहिज पर भी पाला बुलेट चलाने का शौक, 


मॉडिफाइड बुलेट चलाकर अपाहिजता भुलाने का जज्बा जगा रहे किशोर कुमार,


घूमने-फिरने और अपने कामकाज में किसी के मोहताज नहीं किशोर, 





डेराबस्सी 

रॉयल एनफील्ड यानी बुलेट जैसी भारी मोटरसाइकिल चलाने की हिम्मत आमतौर पर तंदुरुस्त व्यक्ति भी नहीं जुटाता पर  54 वर्षीय किशोर कुमार एक पूरी टांग से अपाहिज रहते हुए भी बुलेट चलाने का शौक पिछले 6 साल से पूरा कर रहे हैं। दो एक्स्ट्रा पहिए लगवाकर मॉडिफाइड बुलेट पर घूमने फिरने समेत रोजमर्रा के कामकाज में किशोर कुमार किसी के मोहताज नहीं है। छिटपुट शारीरिक समस्या से हार चुके लोगों में जिंदादिल बनकर हर शौक पूरा करने की अलख जगा रहे हैं। कहते हैं शारीरिक अपाहिज को कभी मानसिक अपाहिज नहीं बनना चाहिए। 


अविवाहित किशोर को दोपहिया चलाने का शौक शुरू से रहा जो उन्होंने 2012 में हौंडा शाइन मोटरसाइकिल को मॉडिफाई कर 2 अतिरिक्त पहिए लगाकर किया। यह मोटरसाइकिल चलाकर उन्होंने अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया। यहीं बस नहीं हुई। उन्होंने रौबदार सवारी के लिए नया बुलेट खरीदा और 2016 में चंडीगढ़ से उसे मॉडिफाई करा कर दो अतिरिक्त पहिए लगवाए। चंडीगढ़ नंबर की बुलेट को पूरी शिद्दत और रौब से चलाते हुए वह अपनी अपाहिजता पूरी तरह भूल जाते हैं। आम लोग बुलेट चलाने से कतराते है परंतु उन जैसे अपाहिज को देख अच्छे भले भी उनके जज्बे को सलाम करते हैं। 




हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चलाता गया..... : किशोर 


किशोर कुमार पुत्र चोखे लाल जिला अलीगढ़ यूपी से हैं जिनकी दाईं टांग 15 साल की उम्र में एक ऑपरेशन के बाद जड़ से काटनी पड़ी। पचासी परसेंट विकलांगता के साथ डॉक्टर ने उन्हें नो वर्किंग स्टेटस कैटेगरी में पहुंचा दिया। किशोर शारीरिक रूप से चाय अपाहिज हो गए। 




इस तरह चलाते हैं मॉडिफाइ कराया बुलेट


किशोर ने 2016 में नया बुलेट लेकर उसमें दो अतिरिक्त पाइए यानी सपोर्ट व्हील लगवाए। बुलेट को चंडीगढ़ से मॉडिफाई कराने में ₹25000 खर्च किए। जिसने यह काम किया उसने हैंडीकैप के लिए स्कूटर बगैरा तो मॉडिफाई किए परंतु किशोर का पहला बुलेट था जिसे हैंडीकैप के लिए मॉडिफाई किया गया। सेल्फ स्टार्ट बुलेट में दाया पैर का ब्रेक हैंडल में फिट करा दी है जबकि गियर डालने के लिए उनका बायां पैर सलामत है। बैसाखी के सहारे बुलेट पर सवार होते ही साइड में बनाए सेट में बैसाखी फिट कर लेते हैं और जहां मन करता है वहां बुलेट घुमाते हुए अपने शौक पूरे करते हैं। बुलेट चलाते हुए वह आम व्यक्ति ही नजर आते हैं। बैसाखी के सहारे बुलेट पर सिर्फ चढ़ने और उतरने पर ही उनकी अपाहिजता लोगों को हैरान करती है। 


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